Not known Factual Statements About bhairav kavach

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रक्षंतू ध्वारामूले तु दसदिक्शु समानतः

दिव्याकल्पैर्नवमणिमयैः किङ्किणीनूपुराद्यैः

बटुकाय महेशानि स्तम्भने परिकीर्तितम् ।

श्रृंगी सलिलवज्रेषु ज्वरादिव्याधि यह्निषु ।।

वन्दे बालं स्फटिकसदृशं कुण्डलोद्भासिवक्त्रं



वाद्यं बाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।





यो ददाति निषिद्धेभ्यः सर्वभ्रप्ो भवेत्किल।

रक्षतु द्वारमूले च दशदिक्षु समन्ततः ॥ २०॥



।। इति रुद्रयामले महातन्त्रे महाकाल भैरव कवचं सम्पूर्णम् ।।

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